ज्ञानवापी केस: बेटियों की निगरानी अर्जी स्वीकार, 18 दिसंबर को सुनवाई; अन्य मामलों में भी पड़ी तारीख

ज्ञानवापी केस: बेटियों की निगरानी अर्जी स्वीकार, 18 दिसंबर को सुनवाई; अन्य मामलों में भी पड़ी तारीख

Varanasi Gyanvapi Case Court Update

Varanasi Gyanvapi Case Court Update

वाराणसी: Varanasi Gyanvapi Case Court Update: प्रभारी जिला जज विनोद कुमार की कोर्ट ने 1991 के ज्ञानवापी मूलवाद के वादी रहे स्व. हरिहर पांडेय की तीन बेटियों की ओर से दाखिल निगरानी अर्जी को स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय की है. ज्ञानवापी के पुराने मामले में वादी रहे हरिहर पांडेय की बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्र और रेनू पांडेय की तरफ से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने निगरानी अर्जी दाखिल की थी.

अवर कोर्ट में बेटियों की ओर से वादी रहे स्व. हरिहर पांडेय के स्थान पर वारिस के रूप में यह अर्जी दाखिल की गई थी. बाद में इस अर्जी को नॉट प्रेस कर दिया गया था. इसके बाद बेटियों की ओर से रिकॉल करने के लिए अर्जी दी गई. इस पर कोर्ट ने रिकॉल प्रार्थना पत्र भी खारिज कर दिया था.

इस आदेश के खिलाफ रिवीजन अर्जी दाखिल की गई. जिसमें कहा गया कि अवर न्यायालय ने त्रुटि पूर्ण और विधि विरुद्ध अवैधानिक और सरसरी तरीके से उनकी अर्जी खारिज कर दी है. इसी रिवीजन अर्जी के एडमिशन पर अभी सुनवाई हो रही है.

अपर जिला जज सप्तम विकास कुमार की कोर्ट में वर्ष 1991 के ज्ञानवापी प्रकरण के पुराने मामले में नियुक्त वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के खिलाफ दाखिल रिवीजन अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई हुई. अनुष्का तिवारी की ओर से आपत्ति पर प्रति आपत्ति दाखिल की गई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी. पिछले महीने अधिवक्ता अनुष्का तिवारी की ओर से जिला जज की कोर्ट में रिवीजन अर्जी दाखिल की गई थी.

रिवीजन अर्जी में कहा गया है, कि ज्ञानवापी के पुराने मामले में 11 अक्टूबर 2019 को पारित आदेश के जरिए अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी को वाद मित्र नियुक्त किया गया. इसमें विजय शंकर रस्तोगी को मंदिर न्यास का सचिव बताकर बिना किसी सार्वजनिक सूचना के एकतरफा और बिना पारदर्शिता के वाद मित्र नियुक्त किया गया. इससे देवता और करोड़ों श्रद्धालुओं के हितों की अवहेलना हुई है. नियुक्ति पारदर्शिता के बगैर और प्लानिंग के तहत की गई.

विजय शंकर रस्तोगी स्वयं वादी पक्ष के वकील रह चुके हैं. साथ ही उनकी नियुक्ति में उनके पुत्र का वकालतनामा और एकतरफा आवेदन प्रमुख भूमिका में रहा, जो कानूनी हितों का टकराव दर्शाता है. ज्ञानवापी में नियुक्त वाद मित्र की सिविल जज सीनियर डिविजन के आदेश निरस्त करने की गुहार लगाई है.

एक अन्य सुनवाई में जिला जज संजीव शुक्ला की कोर्ट में ज्ञानवापी के पुराने मामले के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के हटाने के मामले में भी रिवीजन अर्जी पर सुनवाई हुई. इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी. बेटियों की ओर से अर्जी को सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी की कोर्ट ने 11 जुलाई को खारिज कर दिया था. उस आदेश के खिलाफ बेटियों की ओर से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने रिवीजन अर्जी दाखिल की थी.